Hindi Typing Test - मोबाइल रेडियेशन
Hindi Typing Test
मोबाइल रेडियेशन के खतरे पर शोध
मोबाइल रेडियेशन के खतरे पर शोध सुनकर अच्छा लगा, गौरतलब है कि मोबाइल रेडियेशन से कैंसर और अन्य खतरनाक बीमारियों की आशंका को मोबाइल कंपनियां भले ही सिरे से नकार रही हों, लेकिन केंद्र सरकार ने अब इस मुद्दे की गंभीरता को समझ लिया है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में राजस्थान में पहली बार रेडियेशन के सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर शोध कार्य शुरू किया जा रहा है। परिषद ने इसके लिए राजस्थान विश्वविद्यालय के प्राणिशास्त्र विभाग के अध्यक्ष और यहां रेडियेशन एवं कैंसर बायोलॉजी लैब में वर्षों से शोध कर रहे प्रोफेसर को शोध प्रोजेक्ट दिया है।
करीब तीन साल तक चलने वाले इस शोध में, शुरूआती अध्ययन के लिए ही सत्तर लाख रुपये से अधिक खर्च किए जाएंगे। शोध किया जाएगा कि शरीर के विभिन्न अंगों, मस्तिष्क, यकृत, रक्त के विभिन्न अवयवों और सेमिनिफेरस टिबूल पर रेडियेशन का क्या दुष्प्रभाव होता है। लगातार मोबाइल के संपर्क से रेडियेशन कितना नुकसान दे सकता है, इसका अध्ययन किया जाएगा।
शोध के तहत ग्लोबल सिस्टम ऑफ मोबाइल कम्युनिकेशन की 900, 1800 एवं 2100 मेगाहर्ट्ज पर रेडियेशन निकाला जाएगा। इस विशेष कक्ष में रेडियेशन तरंग की तीव्रता किसी भी तरह से बाधित नहीं होगी।
मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों पर रेडियेशन का प्रभाव अत्यधिक हानिकारक हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह रेडियेशन डीएनए को नुकसान पहुँचा सकता है, जो कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा, नींद की समस्याएं, मानसिक तनाव और मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी भी इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
आजकल के स्मार्टफोन में जो रेडियेशन उत्पन्न होता है वह न केवल मस्तिष्क पर, बल्कि शरीर के अन्य अंगों जैसे हृदय, यकृत, और प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है। यह शोध इन प्रभावों को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में मोबाइल उपयोग से जुड़े खतरों को कम किया जा सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोबाइल फोन का रेडियेशन एक प्रकार का विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र होता है जो निरंतर संपर्क में रहने पर शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से, युवा और बच्चे इस रेडियेशन के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। इस कारण से बच्चों के मोबाइल फोन उपयोग को सीमित करने की आवश्यकता है।
हालांकि वैज्ञानिक समुदाय में अभी तक इस विषय पर पूरी तरह से सहमति नहीं है लेकिन यह जरूरी है कि हम इस मुद्दे पर और अधिक शोध करें। जब तक शोध परिणाम सामने नहीं आते, तब तक हमें मोबाइल फोन का उपयोग सावधानी से करना चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह है कि लंबे समय तक मोबाइल फोन से बात करने से बचना चाहिए और उसे शरीर से दूर रखें।
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